अपने देश में तमाम ऐसे स्थान है जहाँ के लोग मानते हैं कि अयोध्या से निष्काशन के बाद सीता माता उस स्थान पर आकर रही थी.
पहला ऐसा स्थान रामतीर्थ है अमृतसर में. यहाँ एक विशाल तालाब है और उसके किनारे मंदिर है जहाँ पर मान्यता है कि सीता माता रही थी और वशिष्ठ जी ने उन्हे संरक्षण दिया था.
सीता माता के निष्कासन का स्थान:रामतीर्थ, अमृतसर
दूसरा ऐसा स्थान कैथल में मूंदड़ी गाँव है. इस गाँव में मंदिर है जहाँ पर लव-कुश और सीता माता की मूर्तियाँ रखी हैं लेकिन श्री राम की मूर्ति नहीं है क्योंकि राम जी उस समय उनके साथ नही रहते थे. मान्यता है कि सीता जी ने लव-कुश को यहाँ पर जन्म दिया था.
सीता माता के निष्कासन का स्थान:लव कुश तीर्थ, मूंदड़ी, कैथल, हरियाणा
तीसरा ऐसा स्थान राजस्थान के चित्तौडगढ़ जिले में सीता माता अभ्यारण्य में है. इस अभ्यारण्य में एक अति-सुन्दर स्थान है जहाँ पर एक तरफ गरम पानी की नदी बहती है और दूसरी तरफ ठंडे पानी की. इनके बीच में एक दिव्य स्थान है जो कि सीता जी के नाम से जाना जाता है.
सीता माता के निष्कासन का स्थान:सीता माता अभ्यारण्य, चित्तौडगढ़, राजस्थान
वहां के वन-विभाग के कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह वही स्थान है जहाँ पर लक्षमण जी सीता जी को छोड़ गये थे. इस स्थान से लगभग आधा किलोमीटर दूर वाल्मीकि जी का आश्रम भी स्थित है.
सीता माता के निष्कासन का स्थान:यहाँ लक्षमण जी सीता जी को छोड़ गये थे
चौथा स्थान राजस्थान के ही बारां जिले में केलवाड़ा नाम का स्थान है.
सीता माता के निष्कासन का स्थान: सीताबाड़ी मंदिर, केलवाड़ा, राजस्थान
यहाँ पर सीताबाड़ी नाम का एक स्थल है. मान्यता है जब सीता जी को लक्षमण जी छोड़ कर गये थे तो वो वहां पर आकर वे वाल्मीकि आश्रम में रहीं थीं.
सीता माता के निष्कासन का स्थान:सीताबाड़ी मंदिर, केलवाड़ा, राजस्थान
पांचवां स्थान प्रयागराज के पास सीता समाहित स्थल है. यहाँ पास में एक वाल्मीकि आश्रम है. मान्यता है कि सीता समाहित स्थल पर ही सीता माता भूमि में समां गयी थी और पास के ही वाल्मीकि आश्रम में रहती थी.
सीता माता के निष्कासन का स्थान:सीता समाहित स्थल, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
अंतिम स्थान उत्तरप्रदेश के बागपत जिले में बालैनी नाम का स्थान है जहाँ पर मान्यता है सीता माता वहीँ आकर रही थी.
सीता माता के निष्कासन का स्थान:बालैनी गांव, जिला बागपत, उत्तरप्रदेश
इस प्रकार हमारे सामने छ: स्थान है जहां के लोगों की आस्था के अनुसार सीता जी आ कर रही थी. अब इनके बीच में हम किस स्थान को सही मानेगे और किसको गलत मानेगे? इसलिए किसी पुरातन स्थान को चिन्हित करने के लिए हम केवल आस्था के आधार पर निर्णय नही ले सकते हैं. हमको अध्ययन करना होगा कि उस स्थान का नाम वाल्मीकि रामायण में दिए गये नाम से कितना मिलता है. हम पुरातत्व के हिसाब से देखेंगे कि वहां राम जी के समय के पुरातत्व अवशेष मिलते है या नही. हम देखेंगे कि उस स्थान की भौगोलिक स्थिति वाल्मीकि रामायण में दिए गये भौगोलिक विवरण से कितना मेल खाती है. केवल आस्था के आधार पर हम किसी निर्णय पर नही आ सकते की सीता जी कहाँ पर आकर रही थी.
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