इस परिचय में बताया गया है कि यहूदी संस्कृति की कई प्रथाएँ भारतीय संस्कृति से प्रभावित हैं। पत्थर पर तेल डालने, नाक की रिंग पहनाने, मूर्तियों को छुपाने, पासओवर, खमीर का त्याग, बछड़े की पूजा, चौकोर वेदी पर हवन, कुंडलिनी, जाति व्यवस्था, भाषा साम्य, और जेनेटिक्स के दृष्टिकोण से यह संबंध सिद्ध होते हैं।
परिचय
हमारा मानना है कि यहूदी भारत से ही निकलकर गए और अपने साथ अपनी भारतीय संस्कृति को लेकर गए। इस विचार को समझने के लिए विभिन्न उदाहरणों का अध्ययन करना आवश्यक है।
पत्थर पर तेल डालने की परंपरा
बाइबल में उल्लेख है कि जब जैकब बीरशेबा से हारान जा रहे थे, तो रास्ते में उन्होंने एक पत्थर पर अपना सर रखकर विश्राम किया। नींद में उन्हें ईश्वर का साक्षात्कार हुआ, और प्रातःकाल उठकर उन्होंने उस पत्थर के ऊपर तेल डालकर उसकी पूजा की। यह प्रथा हिंदू धर्म में भी प्रचलित है, जहाँ शिवलिंग पर पानी, दूध, तेल आदि से अभिषेक किया जाता है।
नाक की रिंग और ब्रेसलेट पहनाने की परंपरा
बाइबल के जेनेसिस 24:22-24 में उल्लेख है कि किसी महिला को नाक की रिंग और ब्रेसलेट पहनाए गए। यह परंपरा पूर्णतः हिंदू रिवाज है। हिंदू संस्कृति में विवाह के समय महिलाओं का नथ पहनकर श्रृंगार करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
पूजा की मूर्तियों का छुपाना
जेनेसिस 31:34-35 में बताया गया है कि अब्राहम के पौत्र जैकब अपने संबंधी लाबान के यहाँ काम कर रहे थे। उनके बीच में अनबन हुई, तो जैकब चुपचाप निकल गए। लाबान ने देखा कि उनके घर की पूजा की मूर्तियाँ गायब हैं, और जैकब के कारवां की छानबीन की। जैकब की पत्नी रेशल ने मूर्तियों को घोड़े के सैडल के नीचे छुपा दिया और पीरियड्स का बहाना करके उठने से इंकार कर दिया। यह प्रथा हिंदू समाज में अपने घर में छोटी मूर्तियाँ रखने की ही है.
पासओवर की परंपरा
यहूदियों की एक महत्वपूर्ण घटना पासओवर की है। जब फिरौन ने यहूदियों को जाने की अनुमति नहीं दी, तो उन्होंने अपने घर की चौखट पर खून लगाया। यह संकेत था कि मृत्यु के लिए इस घर में प्रवेश ना करें। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के समय दरवाजों के दोनों तरफ सूड लगाए जाते हैं, जिनमें ओम, स्वास्तिक या कोई अन्य आकृति बनाई जाती है। इसका उद्देश्य घर की रक्षा करना होता है।
खमीर का त्याग
बाइबल में पासओवर के दौरान सात दिन तक खमीर उठी हुई रोटी ना खाने का निर्देश है। यह प्रथा हिंदू धर्म में भी प्रचलित है। कई हिंदू परिवारों में खमीर उठी हुई रोटी या अन्य खमीरयुक्त वस्तुएँ नहीं खाई जाती हैं चूँकि इनमे जीव होते हैं।
सोने के बछड़े की पूजा
जब यहूदी मिस्र से इजराइल जा रहे थे, मूसा किसी पहाड़ पर पूजा करने गए। उनके विलंब होने पर हारून ने सभी यहूदियों से अपने सोने के आभूषण माँगे और एक बछड़े की मूर्ति बनाई। यह मूर्ति पूजा हिंदू धर्म की गाय पूजा से मेल खाती है।
चौकोर वेदी पर हवन
हिंदू परंपरा में हवन करने के लिए चौकोर वेदी का निर्माण किया जाता है, जिस पर अग्नि जलाकर पूजा की जाती है। बाइबल में भी चौकोर वेदी का उल्लेख है, जिसे ताबेरनाकल कहा जाता है और जिस पर बलि का पशु रखकर पकाया जाता था।
कुंडलिनी और कैड्यूसस
यहूदी भारत से इजराइल जा रहे थे, तब कई सांपों ने उन्हें काटा। भगवान ने मूसा से कहा कि खंबे के ऊपर एक सांप लटका दें। जिन लोगों ने उस सांप को देखा, वे स्वस्थ हो गए। हिंदू धर्म में कुंडलिनी के दोनों तरफ इड़ा और पिंगला नाड़ियाँ होती हैं। खंबे पर सांप लटकाने का प्रतीकात्मक अर्थ कुंडलिनी नाड़ियों के सक्रिय करने का था. इससे स्वास्थ्य लाभ हुआ।
जाति व्यवस्था और पूजा के अधिकारी
भारत में ब्राह्मणों की जाति व्यवस्था में केवल जन्मजात ब्राह्मण ही पूजा के अधिकारी होते हैं। यह परंपरा यहूदियों में भी देखी जा सकती है, जहाँ केवल लेवी के वंशज ही पूजा के अधिकारी होते हैं।
भाषा और सिंधु घाटी
यहूदी भाषा और सिंधु घाटी की भाषा में साम्य हो सकता है। पुराने हिब्रू भाषा के चिन्ह और सिंधु घाटी के चिन्ह लगभग समान हैं, जिससे यह संभावना प्रबल होती है कि हिब्रू भाषा का उद्गम सिंधु घाटी में हुआ हो सकता है।
जेनेटिक्स और आर2 हैपलोग्रुप
जेनेटिक्स के दृष्टिकोण से आर2 हैपलोग्रुप भारत के यादवों और अन्य समुदायों में अधिक है और यह 1% यहूदियों में पाया जाता है। इससे यह संभावना है कि आर2 हैपलोग्रुप यहूदियों में भारत से ही पहुँचा होगा।
निष्कर्ष
इन तमाम बातों से स्पष्ट होता है कि यहूदियों की संस्कृति में कई प्रथाएँ और परंपराएँ भारत से ली गई हैं। यदि यहूदियों को इन सांस्कृतिक प्रथाओं के पीछे के रहस्यों को समझाया जाए, तो उन्हें भी लाभ हो सकता है।
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