फ्रांस के लिए “स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व;” लेकिन दूसरों के लिए शोषण.
पश्चिमी सभ्यता| इस्लाम| समतावादी विचारधाराएं
पश्चिमी सभ्यता और इस्लाम दोनों समतावादी विचारधाराएं होने के बावजूद आपस में कलह में लगे हुए हैं. फ्रांस में 1779 में क्रांति हुई. उस क्रांति का मुद्दा था “स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व.”
फ्रांस ने स्वतंत्रता का दावा करते हुए उत्तरी अफ्रीका के बड़े हिस्से को गुलाम बना लिया.
फ्रांस| अफ्रीकी देश| अत्याचार| कब्जा| उपनिवेश
लेकिन समानता के विचार को उद्घोषित करने के बाद फ्रांस ने अफ्रीकी देशों पर अत्याचार किया, उनके ऊपर कब्जा किया, उन्हें उपनिवेश बनाया और तमाम प्रकार की बर्बर्तायें की.


विंस्टन चर्चिल ने राष्ट्रपति रुजवेल्ट से जब सहयोग मांगा तो रूजवेल्ट ने उपनिवेशों कि स्वतंत्रता मांगी.
अब्राहम लिंकन| द्वितीय विश्व युद्ध| विंस्टन चर्चिल| राष्ट्रपति रुजवेल्ट
इसी क्रम में अब्राहम लिंकन ने अमेरिका में दास प्रथा को समाप्त किया. द्वितीय विश्व युद्ध में विंस्टन चर्चिल अमेरिका गए और राष्ट्रपति रुजवेल्ट से सहयोग मांगा. उस समय रूजवेल्ट ने उनसे कहा कि हम आपके साथ तब जुड़ेंगे जब आप भारत आदि उपनिवेशों को स्वतंत्रता देंगे. इस प्रकार पूर्व में अमेरिका के समानतावादी विचारधारा सुद्रिड थे. लेकिन आज अमेरिका ने इराक और वियतनाम में युद्ध किए हैं और अपनी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित साधने के लिए संपूर्ण विश्व पर पेटेंट कानून थोपे हैं जिनके माध्यम से तमाम गरीब देशों की आय गिर रही है.
मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा देशों के भीतर आर्थिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करती है.
मानव अधिकारों की सार्वभौमिक उद्घोषणा| धारा 13(1)| धारा 21| सार्वजनिक सुविधाओं| अधिकार| समानता| असमानता
यही विसंगति मानव अधिकारों की सार्वभौमिक उद्घोषणा में है. उद्घोषणा के धारा 13(1) में कहा गया कि “हर व्यक्ति को अपने देश के अंदर यात्रा और रिहाइश की छूट होनी चाहिए.” धारा 21 में कहा गया कि “हर व्यक्ति को अपने देश के सार्वजनिक सुविधाओं पर बराबर का अधिकार होना चाहिए.” प्रश्न है कि यदि संपूर्ण मानवता एक है तो फिर व्यक्ति को केवल देश के अंदर यात्रा करने की छूट क्यों, उसको पूरे विश्व में यात्रा करने की छूट क्यों नहीं है? और यदि मानवता एक है तो किसी भी व्यक्ति को विश्व के सभी देशों की सार्वजनिक सुविधाओं के प्रति अधिकार क्यों नहीं है? इस प्रकार पश्चिमी सभ्यता ने अपने देशों के अंदर समानता स्थापित की लेकिन दूसरे देशों के प्रति घोर असमानता स्थापित की. नतीजा है कि कुछ देश अमीर है और दूसरे देश गरीब हैं यद्यपि मानवता का नारा दिया जा रहा है.
इस्लाम| क़ुरआन| आयत 17.60| अल्लाह| पैगंबर| अबू बक्र| ओमर| समानतावादी
इस्लाम की स्थिति बिल्कुल इससे विपरीत लेकिन फिर भी इसके समान है. क़ुरआन की आयत 17.60 में कहा गया कि “अल्लाह ने लोगों को घेर रखा है.” हमें इसे इस प्रकार समझना चाहिए अल्लाह ने सब लोगों को घेर रखा है. अल्लाह की नजर में लोगों के बीच कोई भेद नहीं है. इसी समानतावादी विचारधारा को अपनाते हुए पैगंबर के समय सादगी का पैगाम दिया गया. पैगंबर स्वयं बहुत सादगी से रहते थे. उनके बाद के पहले दो इमाम और ओमर भी सादगी से रहते थे.
खलीफा उथमान ने पैगंबर की शिक्षाओं के विपरीत महलों का निर्माण किया और गुलामों का दान किया.
लेस्ली हेज़ल्टन| आफ्टर द प्रोफेट| उथमान| राज महल| समानतावादी| असमानतावादी
लेस्ली हेज़ल्टन की पुस्तक “आफ्टर द प्रोफेट” में बताया गया है कि तीसरे इमाम उथमान के समय परिस्थिति बिल्कुल बदल गई. उन्होंने राज महल बनाए जिसमें संगमरमर के खंबे लगे थे, जिसमें चारदीवारी के बीच बगीचे थे, जहां विदेशों से लाया गया भोजन परोसा जाता था और उथमान ने अपने परिजनों को बड़े भूमि खंड आवंटित किये और साथ में हजारों घोड़े और दास भी दान में दिए. इस प्रकार इस्लाम की जो समानतावादी विचारधारा थी वह पूर्णतः असमानतावादी बन गई.
सऊदी अरब के आलीशान महल पैगम्बर की शिक्षा के विपरीत हैं.
सऊदी अरब| आलीशान महल| पाकिस्तान| दास प्रथा
वर्तमान में यही परिस्थिति विद्यमान है. सऊदी अरब में आलीशान महल बनाये गए हैं. पाकिस्तान में यद्यपि दास प्रथा अवैध है लेकिन एक आकलन के अनुसार वहां कम से कम 20 लाख बंधवा मजदूर है जो दयनीय परिस्थिति में जीवनयापन कर रहे हैं.
इस प्रकार पश्चिम और इस्लाम दोनों की अलग-अलग विसंगतियां हैं. पश्चिम ने आंतरिक समानता स्थापित की लेकिन दूसरे देशों के प्रति घोर असमानता अपनाई. इस्लाम ने दूसरे देशों से युद्ध नहीं किया लेकिन अंदर घोर असमानता अपनाई. दोनों प्रतिद्वंदी अलग-अलग तरह से रोग ग्रसित हैं.
आज जरूरत है कि पश्चिम बाहरी असमानता को त्याग करे और इस्लाम आंतरिक असमानता को त्याग करे और दोनों विश्व में भाईचारा स्थापित करें..