भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल में निर्णय दिया है कि आस्था, धारणा और विश्वास के अनुसार भगवान राम की जन्मभूमि सरयू नदी के किनारे जीवंत अयोध्या में थी.
भगवान राम की अयोध्या के दो स्थान
हमारा सुझाव है कि हिन्दुओं के भगवान राम और बाइबिल एवं कुरआन के अब्रहाम एवं इब्राहिम एक ही व्यक्ति थे. अब्रहाम की कहानी की भौगोलिक स्थिति पंजाब के पटियाला जिले के घड़ाम गाँव से मेल खाती है. अतः यहाँ एक विरोधाभास उत्पन्न होता है. भगवान राम की जन्मभूमि सरयू में जीवंत अयोध्या में है जबकि अब्रहाम की जन्मभूमि पटिआला में घड़ाम में है.
सुप्रीम कोर्ट ने भगवान राम की वास्तविक जन्मस्थली का फैसला नहीं किया है.
हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को इस दृष्टी से देखेंगे कि क्या भगवान राम की वास्तविक जन्मभूमि घड़ाम में हो सकती है? आस्था, धारणा और विश्वास एक बात है और वास्तविकता अलग बात है. यह संभव है कि आस्था, धारणा और विश्वास के आधार पर भगवान राम की जन्मभूमि जीवंत अयोध्या में हो–जिसका मैं समर्थन करता हूँ–लेकिन भगवान राम की वास्तिवक जन्मभूमि घड़ाम में हो–जिसका भी मैं समर्थन करता हूँ.
बाबरी मस्जिद बाबर द्वारा 1528 में बनवाई गई थी
आस्था का विषय सुप्रीम कोर्ट ने 1528 ईसवी से पहले का लिया है.1528 के लगभग बाबर ने उस स्थान पर विवादित ढांचे को बनवाया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 1528 के पहले इस बात के प्रमाण मिलते है कि आस्था, धारणा और विश्वास के अनुसार भगवान राम की जन्मभूमि उस स्थल पर थी.
सुप्रीम कोर्ट भगवान राम के वास्तविक जन्मस्थान पर मौन है
सुप्रीम कोर्ट ने अपने परिशिष्ट के पैरा-41 में माना है कि वाल्मीकि रामायण में केवल यह बताया गया है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था लेकिन उस अयोध्या के बारे में विवरण नहीं दिया गया है.
अयोध्या में खुदाई भगवान राम के जन्मस्थान का समर्थन नहीं करती है
सुप्रीम कोर्ट ने अपने मुख्य निर्णय के पैरा-453 में जीवंत अयोध्या में पुरातत्व साक्ष्य पर विचार किया है. उन्होंने कहा है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार मकानों के अवशेष केवल कुषाण काल में पायें जाते है जो वर्ष ईसा बाद 30 के बाद के हैं. साथ-साथ यह भी कहा है कि ईसा पूर्व छठी सदी में वहां पर नोर्थेर्न ब्लैक पॉलिश वेयर पॉटरी नाम के अवशेष पाये जाते हैं लेकिन दिवालें और मकान नहीं पायें जाते. कुछ ज्ञानियों के अनुसार भगवान राम का जन्म ईसा पूर्व 2000 से पहले हुआ होगा. इसलिए जीवंत अयोध्या में जो पुरातत्व अवशेष मिले हैं वे भगवान राम के समय के लगभग 2000 वर्ष बाद के हैं और मेल नहीं खाते हैं.
एम.डी. यूनिवर्सिटी रोहतक के डॉ मनमोहन कुमार ने घड़ाम में अवशेषों की जांच की
तुलना में घड़ाम का अध्ययन एम.डी. यूनिवर्सिटी रोहतक के प्रोफेसर मनमोहन कुमार ने किया है.
घड़ाम में हड़प्पन समय के अवशेष पाए जाते हैं
उन्होंने 1977 में भारतीय पुरातत्व समीक्षा में एक पर्चा छापा था जिसमे लिखा है कि घड़ाम की ऊपरी सतह पर उनको हड़प्पन समय के अवशेष मिले हैं. हड़प्पन समय 3000 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक कामाना जाता है. यानी घड़ाम में 2000 ईसा पूर्व, जोकि राम का समय हो सकता है, उस समय पुरातत्व अवशेष मिलते हैं लेकिन जीवंत अयोध्या में नहीं मिलते हैं.
बाबरी मस्जिद बनने से पहले गुरु नानक देव जी अयोध्या आये थे
सुप्रीम कोर्ट ने परिशिष्ट के पैरा-69 में बताया है कि 1528 के पहले गुरु नानक देव जी अयोध्या आये थे और राम जन्मभूमि का उन्होंने दर्शन किया था. यह बात बिल्कुल सही है उस समय देश की जनता की आस्था, धारणा और विश्वास के अनुसार राम जन्मभूमि उस स्थान पर स्थापित हो गयी थी. इसलिए गुरु नानक देव जी ने उस समय वहां पर राम जन्मभूमि का दर्शन किया होगा. लेकिन सिक्खों के ही दसम ग्रंथ में यह स्पष्ट शब्दों में लिखा हुआ है कि घड़ाम के राजा कौशलराज की बेटी कौशल्या थी. घड़ाम के लोगों की मान्यता है कि कौशल्या माता अपने प्रथम संतान भगवान राम को जन्म देने के लिए अपने माइके घड़ाम में आई थी इसलिए दसम ग्रंथ और जीवंत मान्यता आपस में मेल खाती है और यह संभव है की भगवान राम का जन्म घड़ाम में हुआ होगा. गुरु नानक देव जी ने जीवंत अयोध्या में राम जन्मभूमि का दर्शन लोगों की आस्था, धारणा और विश्वास के आधार पर किया होगा. उनके इस दर्शन से यह सत्यापित नहीं होता है की वास्तव में उस स्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ था.
परिशिष्ट के पैरा–65 में सुप्रीम कोर्ट ने हंस बाकर का उद्धरण देते हुए कहा है कि शास्त्रों में जो अयोध्या का वर्णन मिलता है वह स्थिर न होकर मात्र वैचारिक अथवा काल्पनिक विवरण है. उन्होंने जीवंत अयोध्या की ऐतिहासिकता पर संदेह व्यक्त किया है. इस बात को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर काटा कि गुप्त काल में, जोकि ईसा बाद 300 वर्ष के लगभग का है, इस स्थान पर राम जन्मभूमि होने का विवरण बाकर ही देते हैं. यह बात बिल्कुल सही है. अतः जीवंत अयोध्या का भगवान राम की अयोध्या होना गुप्त काल के बाद लगभग सातवी सदी में प्रमाणित होता है. उस समय से हिन्दुओं की आस्था, धारणा और विश्वास के अनुसार भगवान राम की जन्मभूमि यहाँ रही होगी. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में जो अबतक बातें बताई गयी हैं वह इस बात को प्रमाणित करती हैं कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और भगवान राम की वास्तविक जन्मभूमि का घड़ाम में होना दोनों साथ-साथ चल सकते हैं. इनमे कोई अंतर्विरोध नहीं है.
स्कंद पुराण में अयोध्या की भौगोलिक स्थिति बतायी गयी है
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्कंद पुराण में अयोध्या की स्थानीय भौगोलिक स्थिति का वर्णन किया है और दिखाया कि यह जीवंत अयोध्या से मेल खाती है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा की इस पुराण की रचना सातवी सदी ईसा बाद के बाद हुई है. अतः यह पुराण जीवंत अयोध्या में राम की जन्मभूमि स्थापित हो जाने के बाद की भौगोलिक स्थिति को बताती होगी. इसके सामने स्कंद पुराण में ही एक स्थान पर लिखा हुआ है कि भगवान राम अयोध्या से आधा योजन दक्षिण गये और फिर पश्चिम में उन्होंने सरयू नदी को देखा. इसी प्रकार वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में लिखा है कि भगवान राम डेढ़ योजन दूर गये और फिर उन्होंने पश्चिम दिशा में सरयू नदी को देखा. नीचे दिया गया चित्र जीवंत अयोध्या का गूगल मैप है.
जीवंत अयोध्या के दक्षिण-पश्चिम में सरयू नदी नहीं बहती है
इस गूगल मैप में आप देख सकते है कि अयोध्या के दक्षिण-पश्चिम में सरयू नदी नहीं बहती है इसलिए जीवंत अयोध्या की भौगोलिक स्थिति इन शास्त्रों में दिए गए भौगोलिक विवरण से मेल नही खाता है.
घड़ाम के दक्षिण–पश्चिम में भगवान राम की सरयू नदी है
ऊपर दिया चित्र घड़ाम के गूगल मैप का है. आप देख सकते हैं की दक्षिण-पश्चिम में घग्गर नदी बहती है जो की शास्त्रों में दिए विवरण से मेल खाती है.
दूसरा भौगोलिक विवरण वाल्मीकि रामायण में मिलता है. भगवान राम, लक्ष्मण और सीता जब दक्षिण जा रहे थे तो भारद्वाज मुनि ने उनसे कहा कि “आप दोनों भाई उस स्थान पर जाओ जहाँ गंगा नदी यमुना में पश्चिमाभिमुखी होकर मिली है.” इससे प्रमाणित होता है कि उस समय गंगा और यमुना पश्चिम दिशा को बहती थीं. यह परिस्थिति उस समय की यमुना से मेल खाती है.
भगवान राम के समय यमुना नदी पश्चिम में बहती थी
यह चित्र भूगर्भ विज्ञानिकों द्वारा बनाया गया है जो कि दिखता है कि 1500 ईसा पूर्व के पहले यमुना नदी वास्तव में पश्चिम को बहती थी और यह घग्गर नदी में मिलती थी. अतः गंगा और यमुना का पश्चिम की ओर बहना भूगर्भ विज्ञान के आधार पर स्थापित होता है. इससे प्रमाणित होता है कि गंगा, यमुना और सरयू नदी उस समय पश्चिम दिशा में बहती थी और भगवान राम की अयोध्या उस सरयू नदी पर कहीं पर स्थित होगी. यह पुरातन सरयू नदी घग्गर हो सकती है. यदि यह सच है तो इसके किनारे स्थित घड़ाम पुरातन अयोध्या हो सकता है. इन कारणों से स्थानीय भूगोल के आधार पर भगवान राम की अयोध्या को जीवंत अयोध्या पर स्थापित किया जा सकता है. लेकिन विस्तृत भूगोल के आधार पर भगवान राम की अयोध्या को घग्गर नदी के किनारे ले जाना होगा. बात बची आस्था, धारणा और विश्वास की. घड़ाम के लोगों की भी आस्था, धारणा और विश्वास है कि भगवान राम जन्म वहां हुआ था.
घड़ाम के लोगों का मानना है कि यहाँ भगवान राम की जन्मभूमि थी.
यह चित्र घड़ाम की पंचायत द्वारा प्रमाणित है. इसमें स्पष्ट लिखा हुआ है कि यहाँ राम की जन्मभूमि है. वहां के लोगों में सर्वथा मान्यता प्रचलित है कि माता कौशल्या अपनी प्रथम सन्तान को जन्म देने के लिए घड़ाम आई थी
अतः आस्था, धारणा और विश्वास हमे जीवंत अयोध्या में मिलता है और घड़ाम में भी. यह सही है कि जीवंत अयोध्या में यह आस्था, धारणा और विश्वास बहुत गहरा है जबकि घड़ाम में हल्का है लेकिन है. सुप्रीम कोर्ट के बिल्कुल सही निर्णय दिया है कि गुप्त काल के बाद और 1528 में बाबर के आने से पहले यह प्रमाणित होता है कि हिंदुओं की आस्था, धारणा और विश्वास के अनुसार भगवान राम की अयोध्या जीवंत अयोध्या में स्थापित थी. लेकिन इससे यह नहीं स्थापित होता है कि भगवान राम की वास्तविक जन्मभूमि कहाँ थी? अतः संभव है कि भगवान राम की वास्तविक जन्मभूमि घड़ाम में हो और समयांतर में उसका नाम जीवंत अयोध्या पर लगा दिया गया हो.
हमारे सामने चुनौती है कि हम भगवान राम के ऐतिहासिकता स्थापित करें. यहाँ जीवंत अयोध्या के पुरातत्व साक्ष्य हैं हमारे आड़े आते हैं जबकि ये पुरातत्व साक्ष्य घड़ाम में पुरजोर उपलब्ध हैं. इसलिए यदि हम भगवान राम की ऐतिहासिकता स्थापित करना चाहते हैं तो इस पर विचार करना चाहिए कि क्या घड़ाम में वास्तविक अयोध्या हो सकती है?
बाइबिल के अब्राहम और वाल्मीकि रामायण के भगवान राम
यदि ऐसा है तो यह बात बाइबिल और कुरआन के अब्रहाम और इब्राहिम से भी मेल खायेगी क्योंकि इन शास्त्रों में जो भगवान राम का स्थान “आई” नाम का बताया गया है उसका भी भूगोल घड़ाम से मेल खाता है. बाइबिल में संकेत दिए गये हैं कि “आई” के पश्चिम में एक नदी बहती थी जो घड़ाम में मिलती है. अतः सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और हमारा सुझाव है कि भगवान राम और अब्रहाम का जन्मस्थान घड़ाम था–यह दोनों बातें आपस में साथ-साथ चलती हैं.