इस आलेख में हम बाइबिल के अब्राहम और हिंदू धर्म के ब्रह्मा और राम के बीच तुलनात्मक अध्ययन करेंगे। अनेक विचारकों ने समय-समय पर यह तर्क प्रस्तुत किया है कि बाइबिल के अब्राहम और हिंदू धर्म के ब्रह्मा के बीच कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। इस आलेख का उद्देश्य इन दावों की विस्तार से समीक्षा करना और यह स्थापित करना है कि बाइबिल के अब्राहम वास्तव में हिंदू धर्म के राम से अधिक समानता रखते हैं न कि ब्रह्मा से।
नामों की समानता
ब्रह्मा(BRAHMA) और अब्राहम(ABRAHAM) के नामों में स्पष्ट समानता देखी जा सकती है। दोनों नामों में बी(B), आर(R), एच(H), और एम(M) जैसे व्यंजन शामिल हैं। हालांकि, अब्राहम(ABRAHAM) का मूल नाम अब्राम(ABRAM) था, जिसमें एच(H) व्यंजन शामिल नहीं हैं। जिससे केवल बी(B), आर(R), और एम(M) ही रह जाते हैं। इसके विपरीत, राम(RAM) और अब्राहम के नाम में आर(R) और एम(M) व्यंजन समान हैं। इस प्रकार, यह विचारणीय है कि अब्राहम(ABRAHAM), ब्रह्मा(BRAHMA) और राम(RAM) दोनों में से कोई भी हो सकते है, क्योंकि नामों के व्यंजनों में कुछ समानताएं हैं।
सृष्टि और वंशजों की उत्पत्ति
ब्रह्मा जी सृष्टिकर्ता हैं, जबकि अब्राहम और राम भौतिक मनुष्य हैं। वायु पुराण के अध्याय आठ में कहा गया कि देवता, पितर, संत और मनु यह सब ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। इसके समानांतर, बाइबल में कहा गया कि सृष्टि की रचना गॉड द्वारा की गई। इसलिए गॉड और ब्रह्मा में अधिक समानता मिलती है। अब्राहम को एक सृजनकर्ता के रूप में नहीं देखा जा सकता। यदि देखा भी जाए, तो केवल इस अर्थ में कि वह कई राष्ट्रों के पिता बने। अब्राहम के भारी संख्या में वंशज थे। गॉड ने अब्राहम को कई राष्ट्रों और जातियों का पिता होने का वचन दिया। इसी प्रकार भगवान राम के भी तमाम वंशज हुए। जिनमे स्वयंभू मनु से लेकर 81 नंबर पर राम हुए और 115 नंबर पर बृहदबलल हुए। इस लंबी वंशावली के सृजनकर्ता राम हुए। इसलिए दोनों को तुलना करें तो अब्राहम और राम दोनों एक लंबी वंशावली के सृजनकर्ता हुए। जबकि ब्रह्मा गॉड के समकक्ष होते हैं क्योंकि दोनों ने सृष्टि को बनाया न कि किसी वंशावली को।
परिवार संबंधी घटनाएँ
इसके बाद कहा जाता है कि अब्राहम और ब्रह्मा दोनों नोआ के पुत्र थे। यह बात सही नहीं है क्योंकि नोआ के पुत्र ब्रह्मा नहीं थे। ब्रह्मा जी वैवस्वत मनु के पूर्वज थे। नोआ और वैवस्वत मनु दोनों के समय बाढ़ आई थी। इसलिए नोआ और वैवस्वत मनु एक ही हैं और वैवस्वत मनु के पूर्वज ब्रह्मा हुए और वैवस्वत मनु के वंशज राम हुए। इसलिए यदि वंशावली देखें तो अब्राहम राम के समकक्ष बैठते हैं, जिनकी वंशावली नोआ या वैवस्वत मनु से होती है। लेकिन अब्राहम ब्रह्मा के समकक्ष नहीं बैठते क्योंकि ब्रह्मा वैवस्वत मनु के पूर्वज है जबकि अब्राहम नोआ या वैवस्वत मनु के वंशज हैं।
विवाह संबंधी घटनाएँ
ब्रह्मा के बारे में कहा जाता है कि एक बार जब वे तपस्या कर रहे थे तो उनकी पत्नी सावित्री ने यज्ञ में आने में देरी कर दी। इसलिए उन्होंने किसी को भेजा और वे उनकी बेटी को ले आए। जिसके बाद ब्रह्मा ने अपनी बेटी सरस्वती के साथ यज्ञ पूरा किया और फिर सरस्वती के साथ कई वंशज पैदा हुए। ब्रह्मा ने अपनी बेटी के साथ विवाह किया था, अपनी बहन के साथ नहीं है।
बाइबल में अब्राहम कहते हैं, “बट इंदीड, शी इज ट्रूली माय सिस्टर, शी इज द डॉटर ऑफ माय फादर, बट नॉट द डॉटर ऑफ माय मदर, एंड शी बिकम माय वाइफ।” यानी सारा अब्राहम के पिता की पुत्री है, न कि अब्राहम की मां की पुत्री। यही बात राम पर भी लागू हो सकती है। वाल्मीकि रामायण में कहा गया है कि सीता जी का जन्म लंका में हुआ था और उसके बाद उन्हें पानी में फेंक दिया गया। लेकिन लंका में उनका जन्म किससे हुआ था, इसके बारे में वाल्मीकि रामायण कोई विवरण नहीं देती है। अगर हम मलेशिया की राम की कहानी को पढ़ें, तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि किसी समय दशरथ ने किसी औरत को कहा कि तुम यह फूल की टोकरी ले जाकर मंदोदरी को दे दो और वे उस टोकरी में एक बच्चा बनकर बैठ गए। जब वह टोकरी अंदर पहुंच गई, तो उन्होंने अपना सामान्य आकार प्राप्त किया और मंदोदरी के साथ संभोग किया और फिर हवा से बाहर चले गए। कहानी यह भी कहती है कि इसके बाद उनकी पुत्री के बारे में भविष्यवाणी हुई कि उसका पति रावण की हत्या करेगा और चारों संसार पर राज करेगा। इसे लेकर रावण व्यथित हो गए और उन्होंने उस पुत्री को मारना चाहा, लेकिन उसकी मां के कहने के बाद उन्होंने उसे समुद्र में फेंक दिया। रामायण और मलेशिया की दंतकथा दोनों यह बात कहती हैं कि सीता का जन्म दशरथ और मंदोदरी से लंका में हुआ हो सकता है और सीता जी को समुद्र में फेंका गया उसके बाद वे राम की पत्नी बनीं, जबकि ब्रह्मा जी का इस प्रकार का कोई विवरण नहीं मिलता; वह केवल अपनी बेटी के पति हुए, इतना ही विवरण मिलता है।
पुत्र की बलि का प्रसंग
कहा जाता है कि अब्राहम और ब्रह्मा दोनों ने अपने बेटे की हत्या की। इसमें ब्रह्मा की तुलना मिस्र के सेट और ओसिरिस से की जाती है। सेट और ओसिरिस भाई थे और सेट ने ओसिरिस की हत्या की, लेकिन उसने अपने बेटे की हत्या नहीं की। जबकि ब्रह्मा जी ने अपने बेटे की हत्या की हो ऐसा कोई विवरण नहीं मिलता है। इसके विपरीत, बाइबल कहती है कि अब्राहम ने अपने बेटे इसहाक या इस्माइल की हत्या करने का प्रयास किया।
वाल्मीकि रामायण में ऐसा कोई विवरण नहीं मिलता। फिर भी समस्या यह है कि राम जी की कहानी वाल्मीकि रामायण में अयोध्या छोड़ने के बाद समाप्त हो जाती है। वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में कहा गया कि पहले लक्ष्मण जी ने सरयू नदी में जल समाधि ली और उसके बाद यह कहा गया कि श्रीराम ने जल में प्रवेश किया। अंततः सरयू श्रीराम का वैकुंठ जाने का रास्ता बन गई। मोनियर विलियम की डिक्शनरी के अनुसार वैकुंठ का अर्थ है विष्णु का स्वर्ग जो उत्तर समुद्र में स्थित है या विष्णु का शहर। यानी वैकुंठ का अर्थ यहां पर किसी शहर से हो सकता है और किसी आसमान में स्थित स्थान से भी हो सकता है। यदि हम मानें कि राम सरयू में प्रवेश करने के बाद किसी अन्य शहर में गए तो यह बात हो सकती है । अब जो बाइबल की कहानी के अनुसार अब्राहम ने किसी समय अपने बेटे की हत्या करने का प्रयास किया था। यह कहानी भारतीय वांगमय में नहीं मिलती क्योंकि भारतीय वांगमय में अयोध्या छोड़ने के बाद का कोई विवरण नहीं है। इसलिए इसे हम चुप्पी मान सकते हैं।
यह सही है कि अब्राहम ने अपने संतान की हत्या करने का प्रयास किया, लेकिन ब्रह्मा के सम्बन्ध में ऐसा कोई विवरण नहीं मिलता और राम की कहानी में भी ऐसा कोई विवरण नहीं मिलता। लेकिन वहां चुप्पी है, न कि इसका खंडन।
समय का संदर्भ
मेरे अध्ययन के अनुसार, अब्राहम का समय लगभग 2000 ईसा पूर्व के आसपास माना जाता है जो बाइबल में भी मान्य है। राम के पूर्वज हुए वैवस्वत मनु और उनके पूर्वज हुए स्वयंभू मनु और उनके पूर्वज हुए ब्रह्मा, इसलिए ब्रह्मा जी का समय स्वयंभू मनु के भी पहले होगा. मैंने स्वयंभू मनु का समय लगभग 4000 ईसा पूर्व माना है। ब्रह्मा जी उसके भी पहले रहे होंगे, इसलिए अब्राहम का समय ब्रह्मा जी से बिल्कुल मेल नहीं खाता, जबकि अब्राहम का समय राम से मेल करता है, जो कि दोनों ही 2000 ईसा पूर्व के करीब हुए होंगे।
रूप और स्वभाव
अगला बिंदु अब्राहम और ब्रह्मा के रूप के बारे में है। ब्रह्मा जी एक देवता हैं, वह सतत विद्यमान रहते हैं, उनका कोई मृत्यु और जन्म नहीं है। जबकि अब्राहम एक मनुष्य थे, उनका जन्म हुआ और उनकी मृत्यु भी हुई। इसी प्रकार, राम का भी जन्म हुआ और उनकी मृत्यु भी हुई। अब्राहम और राम दोनों मनुष्य थे, दोनों का जन्म हुआ और मृत्यु हुई। लेकिन ब्रह्मा जी का ना तो जन्म हुआ और ना ही मृत्यु हुई इसलिए अब्राहम राम के समतुल्य बैठते हैं।
दक्षिण की ओर प्रवास
अब्राहम के देश में एक समय अकाल आ गया था और उस अकाल से बचने के लिए अब्राहम अपनी पत्नी सारा और अपने भतीजे लॉट के साथ दक्षिण को गए। इसी के समानांतर, भगवान राम को किसी समय अयोध्या से निष्कासित कर दिया गया और वे अपनी पत्नी सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ दक्षिण को गए। अपनी पत्नी और एक संबंधी के साथ दक्षिण को जाना एक समानता है, जबकि छोटा सा अंतर यह है कि बाइबल में वह अपने भतीजे के साथ गए जबकि रामायण में वे अपने छोटे भाई के साथ गए। दक्षिण में, अब्राहम की पत्नी सारा को वहां के लोग, वहां के राजा फराओ के पास ले गए, और कुछ समय बाद फराओ ने उनकी पत्नी को अब्राहम को लौटा दिया। इसी प्रकार राम की पत्नी सीता को रावण ने हर लिया और कुछ समय बाद राम ने लंका पर युद्ध करके अपनी पत्नी को वापस प्राप्त कर लिया। इसलिए दोनों की पत्नी को हरा गया और उसके बाद उन्हें अपनी-अपनी पत्नी वापस मिली, यह भी समानांतर है।
पत्नियों की संख्या
अब्राहम की पहली पत्नी सारा थी। कोई संतान ना होने के कारण उन्होंने हागर को अपनी पत्नी बना लिया। इसके बाद काफी समय बाद अब्राहम ने एक तीसरी पत्नी केतूरा से विवाह किया। जैन शास्त्रों के अनुसार राम की सीता के अलावा भी चार पत्नियाँ थीं जबकि ब्रह्मा जी की दो पत्नियाँ थीं—सरस्वती और सावित्री।
निष्कर्ष
कहानी यह है कि नामों में समानता है और पत्नियों की संख्या में भी कुछ समानता है लेकिन बाकी तमाम बिंदुओं पर अब्राहम और ब्रह्मा में कोई समानता नहीं मिलती जबकि अब्राहम और राम में समानता मिलती है। जैसे दोनों ही मनुष्य हैं जिन्होंने बड़ी संख्या में अपने वंशज को पैदा किया, दोनों ही वैवस्वत मनु या नोआ से उत्पन्न हुए, दोनों ने अपनी बहन से शादी की, दोनों का समय लगभग 2000 ईसा पूर्व है, दोनों ही भौतिक मनुष्य हैं, दोनों दक्षिण को गए अपनी पत्नी और एक संबंधी के साथ, दोनों की पत्नी को दक्षिण में राजा के पास ले जाया गया । कुल मिलाकर देखें तो अब्राहम का चरित्र राम से मिलता है,
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