हिंदू | यहूदी | बाइबल | विशिष्ट व्यक्तियों | इन्द्र | केन
फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी मियामी के वरिष्ठ प्रोफेसर नाथन काट्ज़ द्वारा संपादित “जर्नल ऑफ इंडो-जुड़ाइक स्टडीज” में पर्चा छपा है जिसमें पांच हिंदू और यहूदी विशिष्ट व्यक्तियों के बीच समानता दिखाई गई है. इनमें एक हिन्दू इन्द्र और बाइबल के केन के बीच समानता है.
बाइबल के केन और ऋग्वेद के इन्द्र कृषक थे?
बाइबल | एबल | गड़ेरिये | केन | कृषक | ऋग्वेद | अश्विन देव
पहला बिंदु है कि इनकी कहानियां किस परिपेक्ष में हुई थी? बाइबल के अनुसार एबल गड़ेरिये थे और केन कृषक थे. किसी समय ईश्वर को प्रसाद चढ़ाने के लिए एबल अपने श्रेष्ठ पशु को लेकर आये और केन अपनी श्रेष्ठ फसल को लेकर आये. इसी के समानान्तर ऋग्वेद में कहा गया है.
“हे अश्विन देव जौ को हल से बोते हुए आप अन्न रस को बनाओ” (ऋग्वेद 1.117.21)
अश्विन देव जुताई करते थे और अश्विन इन्द्र के सहयोगी थे इसलिए हम मानते हैं कि इन्द्र का कुनबा कृषक था. जबकि दूसरी ऋचा में कहा गया:
“हे इन्द्र शीघ्र गायों को जीतने वाले बन” (ऋग्वेद 2.23.3)
बाइबल के एबल और ऋग्वेद के वृत्र पशुपालक थे?
वृत्रासुर | गोपालक | बाइबल | एबल | ऋग्वेद | वृत्र | पशुपालक
इन्द्र का विरोध वृत्रासुर से था और वृत्रासुर की गायों को इन्द्र ने जीता था. इससे पता लगता है कि वृत्रासुर गोपालक था जिसकी गायों को इन्द्र ने जीता. अतः बाइबल के एबल और ऋग्वेद के वृत्र दोनों पशुपालक थे और बाइबल के केन और ऋग्वेद के इन्द्र दोनों कृषक थे.
धातु | केन | भाला | ऋग्वेद | इन्द्र | फौलाद | वज्र
संदर्भ का दूसरा बिंदु धातुओं का है. केन शब्द का अर्थ भाला है यह स्ट्रांग कनकॉर्डेंस से मिलता है (Strong’s 7013. qayin: a spear; Phonetic Spelling: (kah’-yin); Definition: a spear; Word Origin: from un unused word). इसी के साथ जिउइश इनसाइक्लोपीडिया में कहा गया कि केन के वंशजों ने धातु कर्म किया (From Cain him were descended Lamech, who is recorded as having married two wives; Jabal, who instituted nomad life; Jubal, who invented music; and Tubal-Cain, the inventor of metal weapons—i.e., the authors of material and social progress). इससे केन का धातु से संबंध दिखता है. इसी के समानान्तर ऋग्वेद में कहा गया कि इन्द्र ने फौलाद के वज्र को ग्रहण किया. अतः फौलाद का संबंध इन्द्र से मिलता है. इस प्रकार बाइबल और ऋग्वेद दोनों में केन अथवा इन्द्र का धातुओं से संबंध मिलता है और संकेत देता है कि वह युग धातुओं के शुरुआत का रहा होगा.
बाइबल और हिन्दू शास्त्रों के अनुसार अदम एवं स्वयंभू की वंशावली तीसरे भाई से चली?
वंशावली | अदम | एबल | केन | सेठ | ब्रह्मा | त्वष्टा | वृत्र | इन्द्र | विवास्वान
दूसरा बिंदु वंशावली का है बाइबल के अनुसार अदम के तीन पुत्र थे एबल, केन और सेठ. इनमें केन ने एबल को मारा और वंशावली तीसरे पुत्र सेठ से चली. हिंदू शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा के दो मानस पुत्र थे स्वयंभू मनु और मरीचि. मरीचि के तीन पुत्र हुए त्वष्टा, इन्द्र और विवास्वान. त्वष्टा के पुत्र हुए वृत्र. ऋग्वेद की कहानी वृत्र और उसके चाचाओं इन्द्र और विवास्वान के बीच रहती है. दोनों कहानियों में समानान्तरता यह है कि तीन व्यक्ति थे. बाइबल में एबल, केन और सेठ तीन भाई थे जबकि ऋग्वेद में वृत्र, इन्द्र और विवास्वान भतीजा-चाचा थे. दोनों कहानियों में तीनों एक ही वंश में उत्पन्न हुए थे. जिस प्रकार केन ने एबल को मारा उसी के समानान्तर इन्द्र ने वृत्र को मारा. अंतर यह है कि केन ने अपने भाई एबल को मारा जबकि इन्द्र ने अपने भतीजे वृत्र को मारा था.
केन और इन्द्र में 3656 से 3200 ईसापूर्व का समय समानान्तर मिलता है?
समय | केन का समय | 3900 – 3200 ईसापूर्व | विलियम जोंस | थॉमस ट्रॉटमैन | 470 ईसापूर्व | इन्द्र का समय
अगला बिंदु इनके समय का है. बाइबल टाइमलाइन वेबसाइट के अनुसार केन का समय 3900 से 3200 वर्ष ईसापूर्व का अनुमान लगाया जाता है. हिंदू शास्त्रों में इन्द्र का स्पष्ट समय नहीं दिया है लेकिन विलियम जोंस के अनुसार इन्द्र और भगवान बुद्ध के बीच 118 पीढ़ियाँ थी. बुद्ध का जन्म 470 ईसापूर्व माना जाता है इसलिए हम इन्द्र का समय आकने के लिए 470 ईसापूर्व से 118 पीढ़ियों के समय को जोड़ सकते हैं. थॉमस ट्रॉटमैन के अनुसार एक पीढ़ी का समय लगभग 27 वर्ष और एक राजा का शासनकाल का समय लगभग 19 वर्ष आँका गया है. अतः इन्द्र का समय (470+118x(27और19)) अथवा 3656 से 2710 ईसापूर्व बैठता है. इस प्रकार बाइबल के 3900 से 3200 और ऋग्वेद के 3656 से 2710 ईसापूर्व के बीच 3656 से 3200 ईसापूर्व का समय समान है. केन और इन्द्र का यह समय दोनों धाराओं को मान्य है.
केन ने अपने भाई एबल की हत्या की?
हत्या | एबल | पशु | प्रसाद | भगवान | केन | फसल
अगला बिंदु इन दोनों के समय में हुई घटनाओं का है. जैसे ऊपर बताया गया है कि एबल अपने पशु को भगवान के लिए लाए और केन अपनी फसल को भगवान के लिए लाए. भगवान ने एबल के प्रसाद को प्रसन्न किया. इससे नाराज होकर केन ने अपने भाई एबल की हत्या कर दी.
कृषक इन्द्र ने पशुपालक वृत्र की हत्या की?
वृत्र | गोपालक | इन्द्र | कृषक | फेन | वज्र | वृत्रासुर | मारा
जैसे ऊपर बताया गया है ऋग्वेद में भी वृत्र के गोपालक और इन्द्र के कृषक होने का संदर्भ मिलता है. इसके बाद कहा गया कि इन्द्र ने राजगद्दी बचाने को वृत्रासुर पर फेन सहित वज्र से प्रहार किया. विष्णु ने फेन में प्रवेश करके वृत्रासुर को नष्ट कर दिया. अतः जिस प्रकार बाइबल में केन ने एबल को मारा उसी प्रकार हिंदू शास्त्रों में इन्द्र ने वृत्रासुर को मारा. दोनों कहानियां समानान्तर है.
एबल की हत्या के बाद केन नोड में रहे?
बाइबल | भगवान | केन | निष्कासित | नोड़
बाइबल के अनुसार जब केन ने एबल को मारा तो भगवान नाराज हो गए, उन्होंने केन को उस स्थान से निष्कासित कर दिया और केन नोड़ में रहने लगे (जेनेसिस 4.16).
वृत्र की हत्या के बाद इन्द्र मानसरोवर के जल में एक शीतल कमलीनी के पास जा पहुचे?
महाभारत | इन्द्र | वृत्र | ब्रहम हत्या | मानसरोवर | शीतल कमलीनी
इसी के समानान्तर महाभारत में बताया गया कि जब इन्द्र ने वृत्र को मारा तो उनके पास ब्रहम हत्या उपस्थित हुई. तब इन्द्र मानसरोवर के जल में उत्पन्न हुए एक शीतल कमलीनी के पास जा पहुचे, उसके अंदर उन्होंने आश्रय लिया और ब्रह्म हत्या से छुटकारा पाया (महाभारत 12:342:42). अतः हत्या करने के बाद दोनों को अपना स्थान छोड़कर जाना पड़ा.
केन=भाला, एबल=वाष्प, इन्द्र=वज्र, वृत्र=पानी?
केन | केयन | भाला | एबल | हेबल | वाष्प | इन्द्र | अस्त्र | वज्र | वृत्र | पानी
अब हम इनके नामों के ऊपर विचार करते हैं. केन शब्द का मूल केयन है जिसका अर्थ भाला है और एबल शब्द का मूल हेबल है जिसका अर्थ वाष्प है. इसी के समानान्तर ऋग्वेद में कहा गया इन्द्र का अस्त्र वज्र है. इन्द्र का वज्र और केन का भाला यह समान है यद्यपि इन्द्र का नाम वज्र नहीं है लेकिन इन्द्र का अस्त्र वज्र है इसलिए हम इसे समानान्तर मानते है. इसके बाद ऋग्वेद में ही कहा गया कि इन्द्र ने जब वृत्रासुर को मारा तो वृत्र द्वारा रोके गये पानी को उसने छुड़ाया:
“तू जीवन धारक आपः को बहने के लिए छोड़ दे” (ऋग्वेद 1:80:4),
आप: शब्द का अर्थ पानी है. बाइबल में एबल शब्द का अर्थ वाष्प होना और ऋग्वेद में वृत्र का संबंध आपः या पानी से होना समानान्तर है. दोनों का संबंध पानी या वाष्प से दिखता है.
सेठ और विवास्वान; और नोड और मानसरोवर नामों के बीच भिन्नता है?
बाइबल | सेठ | ऋग्वेद | विवास्वान | निष्कासन | नोड | इन्द्र | मानसरोवर
यहां दो नाम में हमें भिन्नता मिलती है. बाइबल में सेठ तीसरे भाई थे जबकि ऋग्वेद में तीसरे भाई विवास्वान थे. इनके नाम में कोई समानान्तरता नहीं है. बाइबल में निष्कासन के बाद केन नोड नाम के स्थान पर जाकर बसे जबकि इन्द्र मानसरोवर में जाकर बसे. इनके नाम में भी हमें समानान्तरता नहीं मिलती है.
धर्म | बाइबल | केन | हत्या | पापी
अंतिम बिंदु धर्म का है. बाइबल में केन के लिए स्पष्ट कहा गया: “तुमने अपने भाई की हत्या की है, पृथ्वी तुम्हारे हाथों से उसका खून लेने के लिए खुल गयी है” (जेनेसिस 4:11). केन को पापी माना गया क्योंकि उसने अपने भाई की हत्या की.
हिन्दू धर्म | इन्द्र | वृत्र | ऋग्वेद | वाल्मीकि | रामायण | वृत्रासुर | वध
इस संबंध में हिन्दू धर्म में दो विचारधाराएँ है ऋग्वेद में तो इन्द्र द्वारा वृत्र की हत्या को महामंडित किया गया है जैसे कहा गया: “जब वृत्र जलों को रोककर सो गया था, इन्द्र तूने वृत्र के ठोढ़ी पर वज्र को मारा, और उसे मार गिराया” (ऋग्वेद 1:52:6). लेकिन वाल्मीकि रामायण में बिलकुल स्पष्ट शब्दों में कहा गया: “निरपराध वृत्रासुर वध करना उचित नहीं था” (रामायण 7:85:154). इस प्रकार हम बाइबल में केन को पापी बताये जाने को रामायण में वृत्रासुर के वध को उचित न ठहराएं जाने के समानान्तर मानते है यद्यपि सम्पूर्ण हिन्दू धर्म के लिए इस बात को नहीं कहा जा सकता है.
इस तालिका में हम आपको ऊपर चर्चा किये गए 13 बिन्दुओं का सारांश दिखा रहे है.
बाइबल और हिन्दू धर्म के समानान्तर और भिन्न?
पहला बिंदु संदर्भ का है. बाइबल में कृषि की शुरुआत की बात कही गई तो हिंदू धर्म में इन्द्र ने जुताई की ऐसा बताया गया. इन्हें हम समानान्तर मानते हैं.
दूसरा बिंदु केन के वंशजों ने धातु कर्म किया जबकि इन्द्र ने फौलाद के वज्र को ग्रहण किया. यह भी समानान्तर है.
तीसरा बिंदु वंशावली का है. केन, एबल और सेठ अदम के 3 पुत्र थे. वृत्र, इन्द्र और विवास्वान सगे संबंधी थे लेकिन ये आदम के समानान्तर स्वयंभू मनु के पुत्र नहीं थे. ये स्वयंभू मनु के भाई मरीचि के पोते थे. दूसरा अंतर है कि केन और एबल भाई थे जबकि हिंदू धर्म के अनुसार वृत्र इन्द्र के भतीजे थे.
एक समानान्तरता है कि वंशावली तीसरे भाई से चलती है. बाइबल में तीसरे भाई सेठ से चलती है और हिंदू धर्म में वंशावली तीसरे भाई विवास्वान से चलती है
समय की दृष्टि से जैसा पहले बताया गया है कि दोनों प्रकरणों में 3656 से 3200 ईसापूर्व का समय समानान्तर मिलता है.
घटनाओं को ले तो बाइबल में कृषक केन ने पशुपालक एबल की हत्या की तो ऋग्वेद में कृषक इन्द्र ने पशुपालक वृत्र की हत्या की.
हत्या के बाद केन को निष्कासित किया गया वे नोड में रहे और इन्द्र को निष्कासित किया गया और वे मानसरोवर में गये.
नामों की तुलना करें तो केन का अर्थ भाला है और इन्द्र का अस्त्र वज्र है. इसे हम समानान्तर मानते हैं.
एबल का अर्थ वाष्प है जबकि वृत्र का अर्थ पानी है यह भी हम समानान्तर मानते हैं.
लेकिन सेठ और विवास्वान; और नोड और मानसरोवर नामों बीच हमें भिन्नता मिलती है.
अंतिम बिंदु धर्म का है केन को बाइबल में पापी बताया गया और रामायण के अनुसार निरपराध वृत्रासुर का वध करना उचित नहीं था. इसे भी हम समानान्तर मानते हैं.
इस प्रकार 13 बिंदुओं में हमें 14 संकेत मिलते हैं और इन 14 में से 10 संकेत समानान्तर हैं जबकि 4 भिन्न है.
14 में से 10 का समानान्तर होना संकेत देता है कि इन दोनों कहानियों में कहीं न कहीं कोई जुड़ाव है. हो सकता है इनका एक ही स्रोत रहा हो. इसलिए हमें इन दोनों विशाल परंपराओं का गहन अध्ययन करना चाहिए और समझना चाहिए कि इस समानान्तरता का स्रोत कहां है.
इस आशय का मेरा लेख Journal of Indo-Judaic Studies में छपा है जिसे आप यहाँ देख सकते हैं :-https://www.academia.edu/45294707/Torah_Hindu_Parallels_in_the_Narratives_of_Five_Persons
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