कुरान में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक अंतर स्वर्ग और नरक के संबंध में दिखता है। मुझे लगता है कि मुसलमानों और हिंदुओं मे अल्लाह और परमात्मा एक ही भगवान है। लेकिन एक ही भगवान हिंदुओं और मुस्लिमों को अलग-अलग परस्पर विरोधी सीख नहीं दे सकता हैं। मैंने अल्लाह और परमात्मा की साझा समझ पर पहुंचने के लिए कुरान से कुछ आयतों को नीचे दिया है. मैं अपने मुस्लिम मित्रों से उनकी सही समझ तक पहुंचने के लिए मार्गदर्शन चाहता हूं।
मुस्लिम विद्वान समझते कि भगवान प्रत्येक आत्मा को केवल एक ही बार जीवन और मृत्यु देता है। जिस प्रकार मनुष्य कोमा मे जाने के बाद निष्क्रिय हो जाता है, उसी प्रकार आत्मा को मृत्यु के बाद निष्क्रिय माना जाता है. फिर सभी आत्माओं को क़यामत के दिन एक साथ उठाया जाता है और भगवान उनको न्याय देते है। जो मुष्य भगवान के निर्देशों का पालन करते हैं, वे मरने के बाद स्वर्ग में स्थायी रूप से रहते हैं। और जो लोग भगवान के निर्देशो का पालन नहीं करते हैं, वे लोग मरने के बाद नरक में स्थायी रूप से रहते हैं।
इस परिपेक्ष इन आयतों को समझना चाहता हूँ.
१. भगवान नरक के समान कैसे हो सकता है?
आयत २३: १०१ – १०४ कहती है कि बुरी आत्माओं को नरक मे हमेशा के लिए भेजा जाता है। दूसरी आयत २:२८ कहती है कि सभी आत्मा, बुरे लोगों सहित, अंत में भगवान को प्राप्त होती हैं. दोनों अयतो को साथ में पढ़ें तो निष्कर्ष निकलता है की बुरी आत्माओं को नरक तथा भगवान दोनों प्राप्त होते हैं. यानी भगवान और नरक एक ही हो जाते हैं. लेकिन अल्लाह तो दयालु और प्यार करने वाला होता है। नरक और भगवान एक ही कैसे हो सकते हैं?
२. नरक में रहने की सीमित अवधि.
आयत २३: १०१ -१०४ यह भी कहती है, कि नरक मे वे तब तक रहेगे, जब तक उनके होंठ कड़े नहीं हो जायेगे. यानि इस आयत के अनुसार बुरी आत्माओ का नरक मे रहेना अंनत समय के लिए नहीं बल्कि सीमित समय तक है. तो प्रश्न उठता है यदि वे सीमित समय तक ही नरक मे रहेते है तो इसके बाद वे कहा जाते है?
३. दो मौतें और दो जिंदगी.
आयत ४०:११ कहती है कि भगवान अपने हमे दो बार मृत्यु दी और दो बार हमें जीवन दिया. यह माना जाता है कि आत्मा को पहला जन्म माँ के गर्भ से बाहर आने के समय दिया जाता है. उसकी पहली मृत्यु इस शरीर की मृत्यु के समय होती है. इसके बाद क़यामत के दिन उसको पुनः उठाया जाता है. जिसे उसका दूसरा जन्म माना जा सकता है. उसके बाद उसे स्वर्ग या नरक मे स्थायी रूप से भेज दिया जाता है. इस प्रकार आत्मा के दो जन्म होते है पहला शारीरिक जन्म और दूसरा क़यामत के दिन. लेकिन मृत्यु एक ही होती है जिस दिन उसकी शारीरिक मृत्यु होगी. तो प्रश्न है कि दूसरी मृत्यु कब होती है यह स्पष्ट नहीं होता.
४. फिरौन के लिए दो दंड?
आयत ७३:१६ कहती है कि फिरौन ने मूसा की अवज्ञा की इसलिए अल्लाह ने फिरौन को पानी मे डूबाकर सजा दी. इसका अर्थ हुआ कि अल्लाह ने फिरौन को आज से पहले यानि कयामत से पहले ही दंड दे दिया है. प्रश्न उठता है कि जब अल्लाह ने फिरौन को पहले ही दंड दे दिया है तो कयामत के दिन उसे क्या दुबारा उसी अपराध के लिए दंड दिया जायेगा?.
कृपया गाइड करें
कुरान की सही समझ पर पहुंचने के लिए मैं इन सवालों पर विद्वानों का मार्गदर्शन चाहता हूं। धन्यवाद।
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1 Comment
nice post…
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