सामान्य मानयता है कि उत्तर प्रदेश की अयोध्या मे रामजी कि अयोध्या थी जबकि पंजाब कि मान्यता है कि राम जी का जन्म पटियाला के घडाम नामक स्थान पर हुआ था. हम दोनों स्थानों…. का तुलनात्मक अध्यन वाल्मीकि रामायण के अधार पर करना चाहेगे. वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड 55.4 मे
भारतवाज मुनि राम और लक्ष्मण से कहेते है कि आप दोनों भाई उस स्थान पर जाओ जहां पर गंगा यमुना से पश्चिम अभिमुखी होकर मिली है इसका अर्थ हुआ कि उस समय गंगा और यमुना दोनों पश्चिम दिशा मे बहती थी. पुरातत्व खोजो के अनुसार हमारी यमुना नदी पूर्व मे यमुना नगर के पास से पश्चिम नदी को बहती थी अत: यमुना का पश्चिम को बहना वाल्मीकि रामायण मे जो कहा गया है और जो पुरातत्व साक्ष है उनसे मैच कर रहा है अब यदि यमुना पश्चिम को बहती थी तो गंगा और सरयू भी पश्चिम को बहेगी. क्युकी वो उसकी सहायक नदियाँ थी हम इस चित्र मे दिखा रहे है कि यमुना की पश्चिम बहने वाली पूर्व मे तमाम नदियाँ थी इसमे एक सम्भवना ये बनती है कि जो सोम्भ नदी है वह पुरानी गंगा थी जोकि पश्चिमामुखी हो करके भादरा मे यमुना से मिलती है जैसे की चित्र मे देखाया गया है और जो पुरानी सरयू थी वह वास्तव मे घग्गर नदी थी जो भी आकर गंगा और यमुना की सम्लित धारा मे मिलती है.
अत: पुरानी गंगा, यमुना, सरयू नदिया वाल्मीकि रामायण के अनुसार और पुरातत्व के अनुसार पश्चिम को बहेती थी यदि हम उत्तर प्रदेश से तुलना करे तो उत्तर प्रदेश मे ये नदियाँ पुरव मे बहती है इसलिए ये वाल्मीकि रामायण से मैच नही करता है
दूसरी भगोलिक बात यह है कि जब राम जी अयोध्या को छोड़ रहे
थे तो उस समय सरयू नदी पश्चिम दिशा मे बह रही थी ऐसा बताया गया होगा चित्र मे हम देख सकते है कि घडाम का स्थान के पश्चिम मे घग्गर मे बह रही है अत: यह वाल्मीकि रामायण की चित्र से मेल खाता है जबकि इस चित्र मे हम देख रहे है कि उत्तर प्रदेश कि अयोध्या मे घग्गरा नदी अयोध्या के पुरवा उत्तर मे बह रही है इसलिए यह पश्चिम मे नही बह रही है इसलिए यह नदी भागोलिक दृष्टि से वाल्मीकि रामायण के विवरण से मेल नही खाती है.
तीसरा बिंदु पुरातत्व का है घडाम के माउंट का अभी explanation नही किया गया इसलिए हमे नही मालूम कि इसके अन्दर कितने पुराने अवशेष उपलब्ध है लेकिन N D यूनिवर्सिटी रोहतक के प्रोफेसर मनमोहन कुमार और पंजाब पुरातत्व डिपार्टमेंट के राजेन्द्र भट्ट दोनों ने अध्यन करके यह कहा है कि उस टीले के सरफेस पर उनको हडपन समय के कुछ अवशेष मिले है हडपन समय ३००० से १५०० bc माना जाता है इसलिए घडाम का अस्तित्व उस पुराने पिरीयड तक प्रमाणित होता है
तुलना मे वर्तमान उत्तर प्रदेश की अयोध्या मे जो मकानों के अवशेष मिले है वह केवल द्वितीय शताब्दी ईशा पूर्व के मिले है और कुछ बर्तन भांडे १५०० – १६०० ईशा पूर्व के मिले है इसलिए पुरातत्व के अधार पर भी घडाम का अयोध्या होना ज्यादा प्रमाणित होता है.
तीसरा बिंदु जीवन परम्परा का है घडाम के लोगो का मानना है कि माता कोसल्या अपने प्रथम पुत्र को जन्म देने के लिए अपने मायेके घडाम आयी थी इसलिए राम का जन्म स्थान घडाम को मानते है वहा पर कुछ लोगो ने कोसल्या माता की मूर्ति उस टीले के ऊपर स्थापित भी की है इसी तरह अयोध्या मे भी जीवतं परम्परा है कि रामजी वहा पैदा हुए थे.
चोथा बिंदु नाम का है घडाम शब्द का मूल गुह: राम, या कुह: राम जोकि परसी मे राम का पहाड़ कहा जाता है इससे राम का उस स्थान से सम्बन्ध मिलता है घग्गर नदी का भी सरयू नदी से जाना जाता है प्रसिध भूगर्भ वैज्ञानिक के.स वल्दिया ने अपनी एक रपट मे लिखा है कि घडाम के पास घग्गर का एक नाम सरयू भी प्रचलित है इसलिए सरयू और राम का सम्बन्ध घडाम से स्थापित होता है उत्तर प्रदेश की अयोध्या का नाम राम की अयोध्या से स्वत: ही स्थापित होता है अब हम समस्त आकलन करे तो भागोलिक साक्ष के अधार पर गंगा और यमुना और सरयू के पश्चिम मे बहने वाल्मीकि रामायण मे विवरण है वह घडाम से मेल खाता है और उत्तर प्रदेश के नही. पुरातत्व साक्ष का अध्यन करे तो घडाम मे हडपन समय के अवशेष मिलते है जबकि उत्तर प्रदेश अयोध्या मे उस समय के अवशेष नही मिलते है जहां तक नाम और जीवतं परम्परा का सवाल है वो दोनों स्थान पर परस्पर स्थित है अत: भागोलिक पुरातत्व के अधार पर हमारा सुझाव है कि ओरिजिनल अयोध्या और ओरिजिनल राम की जन्म भूमि घडाम मे स्थापित थी समयक्रम मे लोगो ने उसे उत्तर प्रदेश अयोध्या मे पुन: स्थपित कर दिया होगा.
हम इस विषय को आपके सामने इसलिए रखना चाहते है कि हमारे अध्यन के अनुसार हिन्दू धर्म के राम और इब्राहिम धर्मो के इब्राहम एक ही व्यक्ति थे और इब्राहम का जो स्थान आई बताया गया है बाइबिल मे उसका भी मेल घडाम से होता है कि राम का जन्म स्थान और राम कि अयोध्या घडाम मे हो सकती है इससे खुले दिमाग से चिंतन किया जायेगा.
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