सामान्यतः माना जाता है कि कुरान में केवल एक जन की बात कही गई है और मृत्यु के बाद क़यामत के दिन सभी अल्लाह के सामने प्रस्तुत होते हैं. दुबारा धरती पर जन्म लेने का कोई विवरण कुरान में नहीं है लेकिन हमारा अध्ययन बताता है कि कुरान में भी पुनर्जन्म बताया गया है और हम पुनर्जन्म से संबंधित आयतों पर अपना दृष्टिकोण इस पोस्ट में आपके सामने रखेंगे.
- यहाँ तक कि जब उनमें से किसी की मृत्यु आ गई तो वह कहेगा, “ऐ मेरे रब! मुझे लौटा दे। – ताकि जिस (संसार) को मैं छोड़ आया हूँ उसमें अच्छा कर्म करूँ।” कुछ नहीं, यह तो बस एक (व्यर्थ) बात है जो वह कहेगा और उनके पीछे से लेकर उस दिन तक एक रोक लगी हुई है, जब वे दोबारा उठाए जाएँगे (कुरान 23:99-100).
हमारा दृष्टिकोण– इस आया में कहा गया है कि जिस परिवार या स्थान पर किसी आत्मा की मृत्यु हुई है वह मृत्यु के बाद उसी परिवार या स्थान पर वापस नहीं जा सकता है. यह सही है. पुनर्जन्म पिछले परिवार में नहीं होता है. लेकिन वह आत्मा मृत्यु के बाद वापस जाने के स्थान पर उस रोक से आगे जाते हुए पुनः धरती पर जन्म ले सकता है. आगे दुसरे स्थान पर पुनर्जन्म लेने पर इस आया में कोई रुकावट नहीं है.
- जिसने पैदा किया मृत्यु और जीवन को, ताकि तुम्हारी परीक्षा करे कि तुममें कर्म की दृष्टि से कौन सबसे अच्छा है। वह प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील है। (कुरान 67:2)
हमारा दृष्टिकोण- मृत्यु के बाद सब आत्मायें आकाश में जाती है. वहां पर पूर्व में जो लोग मरे हैं और जिनका वर्तमान मृत आत्मा से किसी प्रकार का संबंध रहा है, वे सब प्रत्यक्ष उपलब्ध हो जाते हैं. पूर्व में मृत आत्माएं वर्तमान में मृत आत्मा की परीक्षा लेते हैं कि तुमने कौन से कर्म सही किये कौन से कर्म गलत किये. पूर्व में मृत आत्माएं अल्लाह के आदेश पर निर्णय लेती हैं. वहां पर सब बातें जीवन की पूरी पारदर्शी और ट्रांसपेरेंट होती है. झूठ की कोई संभावना नहीं होती है. यही बात इस आया में कही गई है की मृत्यु के बाद कौन व्यक्ति सबसे अच्छा है इसकी परीक्षा की जाएगी.
- जिस दिन हम आकाश को लपेट लेंगे, जैसे पंजी में पन्ने लपेटे जाते हैं, जिस प्रकार पहले हमने सृष्टि का आरम्भ किया था उसी प्रकार हम उसकी पुनरावृत्ति करेंगे। यह हमारे ज़िम्मे एक वादा है। निश्चय ही हमें यह करना है।(कुरान 21:104)
हमारा दृष्टिकोण– इस आया में कहा गया कि जैसे अल्लाह ने पहली बार सृष्टि किया था उसी प्रकार वह उसकी पुनः पुनरावृत्ति करेंगे. यानी जिस प्रकार पहले एक व्यक्ति ने जन्म लिया था उसी प्रकार मृत्यु के बाद वह पुनः जन्म लेगा और यह वायदा अल्लाह ने किया है.
- मैं शीघ्र ही उसे ‘सक़र‘ (जहन्नम की आग) में झोंक दूँगा और तुम्हें क्या पता कि सक़र क्या है? (कुरान 74:26-27)
हमारा दृष्टिकोण– जब एक आत्मा मृत्यु को प्राप्त होती है तो वह आकाश में जाती है जहां पूर्व में मृत आत्माओं से उसका सामना होता है. उस समय सब बातें पारदर्शी होती है. मृत आत्मा ने जो गलती की है वह सब को दिखाई पड़ती है और जो पूर्व में मृत आत्माएं आकाश में मंडरा रही है वे वर्तमान मृतात्मा से बदला लेती है उसे यातना देती है. इसी को जहन्नम की आग कहा गया है.
- जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें शुभ सूचना दे दो कि उनके लिए ऐसे बाग़ हैं जिनके नीचे नहरें बह रहीं होंगी; जब भी उनमें से कोई फल उन्हें रोज़ी के रूप में मिलेगा, तो कहेंगे, “यह तो वही है जो पहले हमें मिला था,” और उन्हें मिलता-जुलता ही (फल) मिलेगा; उनके लिए वहाँ पाक-साफ़ जोड़े होंगे, और वे वहाँ सदैव रहेंगे।(कुरान 2:25)
हमारा दृष्टिकोण– मृत्यु के बाद सच्ची मृत आत्मा आकाश में जाती है तो वहां पर दूसरी आत्माएं जो उसके सत्कर्मों से प्रभावित है वे उसका स्वागत करती हैं और उसे सब प्रकार के आराम मुहैया कराती है. इस बात को दिखाने के लिए कहा गया कि ऐसे बाग है जिसके नीचे नहरें बनी रही होंगी और फल उन्हें मिलेंगे. इसका अर्थ यह नहीं है की भौतिक रूप से नहरें और फल वहां है लेकिन यह दिखाता है कि किस प्रकार का स्वागत इन सच्ची मृत आत्माओं को ऊपर मिलेगा. इस आया में यह भी कहा गया कि वे वहां सदैव रहेंगे. यहां सदैव शब्द को लंबे समय के रूप में समझना चाहिए. जब मृत आत्मा के द्वारा किए गए पुण्य कर्म का प्रभाव रहता है तब तक वह दूसरे मृतात्मा उसका स्वागत करते हैं. लेकिन समय क्रम में जब पुण्य कर्म का प्रभाव समाप्त हो जाता है या ऐसे मृतात्मा पुनर्जन्म ले लेते हैं.
- तुम अल्लाह के साथ अविश्वास की नीति कैसे अपनाते हो, जबकि तुम निर्जीव थे तो उसने तुम्हें जीवित किया, फिर वही तुम्हें मौत देता है, फिर वही तुम्हें जीवित करेगा, फिर उसी की ओर तुम्हें लौटना है? (कुरान 2:28)
हमारा दृष्टिकोण– यह आया निर्जीव, मौत, जीवन और अल्लाह की तरफ लौटने का क्रम बताती है. इसको इस्लामिक स्कॉलर्स कहते है कि पहले हम मिट्टी थे फिर हम मनुष्य बने फिर मृत्यु हुई और उसके बाद हमें अल्लाह के सामने परीक्षा के लिए जीवित किया गया. यह दृष्टिकोण संभव है लेकिन हमारा दृष्टिकोण यह है कि मृत्यु, जीवन, मृत्यु और पुनः जीवन का क्रम पुनर्जन्म को दिखाता है. इस जीवन और मौत के इस क्रम को अपनाते हुए जब आत्मा शुद्ध हो जाती है तो वह पुनः पृथ्वी में पुनर्जन्म को नहीं लौटती बल्कि अल्लाह या ब्रह्म में लीन हो जाती है. इसे इस आया के अंत में कहा गया कि फिर उसी की ओर तुम्हें लौटना है यानी कि जन्म और मृत्यु के चक्र से जब आत्मा शुद्ध होती है तब वह ब्रह्म या अल्लाह के पास लौट जाती है.
- क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो हज़ारों की संख्या में होने पर भी मृत्यु के भय से अपने घर-बार छोड़कर निकले थे? तो अल्लाह ने उनसे कहा, “मृत्यु प्राय हो जाओ तुम।” फिर उसने उन्हें जीवन प्रदान किया। अल्लाह तो लोगों के लिए उदार अनुग्राही है, किन्तु अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखलाते।(कुरान 2:243)
हमारा दृष्टिकोण– इस आया में स्पष्ट लिखा है कि अल्लाह ने पहले आत्माओं को कहा कि मृत्यु को प्राप्त हो जाओ फिर अल्लाह ने उन्हें जीवन प्रदान किया. यह जीवन क़यामत के दिन का भी हो सकता है जिस दिन सभी आत्माएं अल्लाह के सामने प्रस्तुत होंगी. यह जीवन हर आत्मा के पुनर्जन्म का भी हो सकता है.
- अल्लाह ही सृष्टि का आरम्भ करता है। फिर वही उसकी पुनरावृति करता है। फिर उसी की ओर तुम पलटोगे।(कुरान 30:11)
हमारा दृष्टिकोण– अल्लाह सृष्टि का आरंभ करता है यानी जब कोई आत्मा जन्म लेती है तो उसके लिए एक नई सृष्टि शुरू होती है. फिर मृत्यु के बाद उसका पुनर्जन्म होता है. इसलिए कहा गया कि फिर वही उसकी पुनरावृत्ति करता है. फिर अंत में कहा गया कि अल्लाह की ओर ही आत्मा पलटेंगी यानी जब जन्म और मृत्यु के क्रम में उसका शुद्धीकरण हो जाएगा तो वह ब्रह्म या अल्लाह की ओर जाएगी.
- कहा, “वहीं तुम्हें जीना और वहीं तुम्हें मरना है और उसी में से तुमको निकाला जाएगा।”(कुरान 7:25)
हमारा दृष्टिकोण– हर आत्मा का जन्म होने के बाद उसी धरती पर उसे मरना है. अच्छे कर्म करने पर जन्म और मरण के इस चक्र से आत्मा को निकाला जाएगा.
सारांश- इस प्रकार हम देखते हैं कि जन्म और मरण से संबंधित सभी आया का दो इंटरप्रिटेशन हो सकता है एक यह कि अंत में केवल एक बार क़यामत के दिन जन्म होगा और दूसरा यह कि बार-बार जन्म होगा, दोनों संभावनाएं कुरान में बताई गई है इनमें से हिन्दू धर्म से दूसरी संभावना मेल खाती है इसलिए हमारा कहना है कि हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म की विचारधारा कुरान में भी बताई गई है.